रविवार, 26 जुलाई 2009

चंद बौने पेड़...!

My बोनसाई

ये कुछ बौने पौधे हैं,जिन्हें कई बरसों से सँजोए रखा है...तस्वीरें तो कुल १०/१२ हैं...तादात काफी अधिक है...ना जाने किन पुराने कुओं तथा हवेलियों मे उगे इन पौधोंको मै निकाल लाती...गमलों मे लगाके उनपे अपने प्यारकी वर्षा करती और ये झूम उठते...!

हमारी बंजारों की-सी ज़िंदगी ने इन्हें तकलीफ पहुचाई..कई बार इन्हें किसी अन्य के हवाले करना पड़ता और ये दम तोड़ देते...बडाही अफ़सोस होता...पर क्या करती..जब हमाराही ठौर ठिकाना नही होता, तो चाह के भी,इन्हें अपनी छत्रो छयामे नही रख सकती...कभी जब पुराने पेडों की तस्वीरें देखती हूँ, जो अब नही रहे, तो आँखों मे एक धुंद-सी छाही जाती है..उनपे निकले कोमल कोंपल याद आते हैं, जिन्हें मै बड़ी एहतियातसे सँजोती..अब मौसम है..इनकी मिट्टी बदलनी होगी.इनकी ही नही..बिटियाने जो अन्य धरोहर छोडी है...उन सभी की...!
truks मे इन पौधों को बेहद संभल के रखती...खूब घान फूंस इनके नीचे बिछाती..लेकिन ख़राब रास्ते और बदहाल ट्रक, नुकसान तो पहुचाते ही। सुंदर,सुदर टहनियाँ टूटी मिलती...












शमा

12 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुन्दर संग्रह ।
    इनका अस्तित्त्व ही बता रहा है कि इन्हें कितने प्यार से रखा गया है।
    हिन्दी नाम भी बता देतीं तो अच्छा होता।

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  2. पौधों से प्रेम लाजवाब समा जी क्या आपको लगाता है की पौधे भी प्यार और भावना को समझते हैं, अगर इनसे अत्यधिक प्रेम किया जाए तो क्या ये आपको कुछ अद्भुत घटना से आपको बता सकते हैं की ये भी आपसे प्यार करते है !!

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  3. वास्तव में बहुत ही सुंदर सोच है आपकी !

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  4. जगदीश चन्द्र बसु जो पौधों में जीवन को साबित करके गए !! एक पौधे से यदि आप भावनात्मक जुड़ जाती हैं, रोज उनसे किसी दोस्त की तरह बात करती हैं तो निश्चित रूप से वो आपको अवगत करा देगा की वो आपकी बात सुनता है |

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  5. बहिन शमा
    मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी देकर मेरा होसला अफजाई करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया

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  6. हर पौधा जमीन में होता है
    पर आकाश छूता है
    आपका प्रयास जड़ों को बचाने का है
    निश्चित ही आप आकाश का अनुभव रखती हैं
    क्योंकि हर जड़ कहती है
    मैं बढ़ रही हूँ !!!
    सुंदर, बेहतरीन प्रयास
    प्रकृति के संरक्षण का ।

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