शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

सूखा झरना!


इस तस्वीर की एक दूरसे ली छवी पोस्ट कर चुकी थी...ये पाससे ली है...ऊँचें रचे हुए पत्थरों पे नदीओं में मिलने वाले सफ़ेद, गोल पत्थर डाल रखे थे....पानी की फुहार सुराही में से निकलता थी जिसे water sculpture ..कहा जाता है...यहाँ पे फाइबर के बने लैंप लगाये थे, जब रातमे जलाये जाते थे, तो लगता था पत्थर से छनके रौशनी आ रही है....अब ये कवल तस्वीरें बगीचे तो रहे नही...बगीचों की आसान तरीक़ेसे बनानेके लिए ये कुछ सुझाव मात्र हैं!
इसे भी मै अपने 'फाइबर आर्ट'मे तब्दील कर चुकी हूँ...किसी दिन उसकी तस्वीर भी पोस्ट कर दूँगी...!

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

एक अलग angle से बगीचे की तस्वीर..

ये पाठशाला के लिया बनाया था! आसान रखरखाव के लिए, लॉन के बदले मै अक्सर रेती का प्रयोग करती थी..पानीम, रामबाण, वाटर लिली आदि पौधे गमले रखके उनमे लगा देती ...सफाई रहनेके लिए उनमे मेंडक और मछलियाँ रहती..बद्कें भी...जिन्हें देख बच्चे बड़े खुश रहते...बच्चों से ही पेंट करवाके वहां पे अलग,अलग आकार के सुराहीदार मटके रखवाती...एक काला मटका नज़र आ रहा है...